विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की शुरुआत
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग का काउंसलिंग सेंटर लॉक डाउन की स्थिति में लोगों की काउंसलिंग करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने इसके लिए निर्देश दिए है।
व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने 7905398229 मोबाइल नंबर जारी किया है। इस नंबर पर कोई भी सुबह 11:00 से 12:00 बजे तक कॉल कर अपनी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान निशुल्क कर प्राप्त सकता है। इस परामर्श सेवा का नाम कोरोना से जंग हमारे संग रखा गया है।
विश्व स्तरीय संकट कोविड-19 से जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति भय से ग्रस्त है ऐसी स्थिति में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका बढ़ जाती है।मनोविज्ञान मानव की मानसिक सामंजस्य एवं व्यवहार क के संतुलन पर जो देता है। यह सभी के लिए संकट का दौर है। डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने बताया कि लॉक डाउन जैसी स्थिति हमारे सामने पहली बार आई है। अपने घरों में रहकर लोग समाचार के माध्यम से कोरोना के संबंध में अत्यधिक जानकारी ले रहे हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से तमाम तरह के सही और गलत सूचनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं।इससे तनाव, अकेलापन, कोरोना फोबिया, अवसाद आदि जैसी स्थितियां उत्पन्न हो रही है। इसको मनोविज्ञान की अनेकों तकनीकी एवं पद्धतियों से नार्मल बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण पूरा देश लॉक डाउन है ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। देश के तमाम हिस्सों से करोना के भय के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में जर्मनी के फाइनेंस मिनिस्टर थॉमस शेफर ने कोरोना वायरस से हो रही मौत की भयानक स्थिति को देख कर आत्महत्या कर ली। आम जनमानस के जीवन में ऐसी भयावह स्थिति ना आए इसके लिए विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक सहायता करेंगें। इस काम को शिक्षक और शोधार्थियों की एक सक्रिय टीम द्वारा किया जाएगा।
*मुख्य बिंदुओं पर काउंसलिंग की सुविधा*
-जौनपुर जनपद वासियों हेतु उन सभी व्यक्तियों की जो कोरोनावायरस के भय से निराशा की घोर अंधेरे में डूबते जा रहे हैं उन्हें परामर्श सेवा उपलब्ध कराना।
-उन व्यक्तियों को परामर्शन सेवा उपलब्ध कराना जो कोरेंटाइन किए गए हैं जिसके कारण उनमें अत्यधिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
-उन समस्त छात्र एवं छात्राओं को परामर्श सेवा उपलब्ध कराना जिनको परीक्षा से संबंधित तनाव के साथ-साथ विश्वविद्यालय मे एडमिशन, पढ़ाई, ऑनलाइन कक्षाओं से कनेक्ट न हो पाने के कारण मानसिक उलझन।
-लॉकडाउन के कारण जीवन के अस्त-व्यस्त हो जाने से समय का सदुपयोग करने में असफल होना।
-व्यक्ति में 'कोरोना फोबिया' का बढ़ना जिसके कारण मृत्यु का डर व्याप्त होना जिसे कम करने हेतु परामर्श सेवा उपलब्ध कराना।
-उन सभी व्यक्तियों को परामर्शन सहायता प्रदान करना जिनके परिवार के सदस्य उनके घर या जनपद से बाहर है उनके अंदर व्याप्त अनजाने भय, मानसिक दबाव, हाई ब्लड प्रेशर, अवसाद, तनाव आदि मनोरोगों का निवारण करना।