दिल्ली,अरुण कुमार सिंह ।
भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले दो व्यक्ति कौन थे ये बात ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं. जब भगत सिंह पर दिल्ली में अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का केस चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ गवाही देने वालों में एक शोभा सिंह थी और दुसरे थे शादी लाल जिन्होंने भगत सिंह और उनके साथियों के खिलाफ गवाही दी.
शोभा और शादी लाल को वतन से की गई इस गद्दारी का उचित इनाम भी मिला था. दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी दुसरे तरह के फायदे मिले. दिल्ली में शोभा सिंह को बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले.
शोभा सिंह और शादी लाल
आज कनौट प्लेस में स्थित सर शोभा सिंह स्कूल में कतार लगाने के बाद भी बच्चो को प्रवेश नहीं मिलता है.
वहीं शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति दी गई थी. आज भी श्यामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और कई शराब कारखाना है.
भारतीय जनता की नजरों में सर शादीलाल और सर शोभा सिंह घृणा के पात्र पहले भी थे और अब भी हैं. शादी लाल का गांव वालों ने तिरस्कार कर दिया था और उसके मरने के बाद किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से उसके लिए कफन का कपड़ा तक नहीं दिया था.
शादी लाल के लड़के उसके लिए कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो सका था. हालांकि इस मामले में शोभा सिंह खुशनसीब रहा. उसे और उसके पिता सुजान सिंह को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी मिला.
बता दें कि जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क भी स्थित है. वहीं शोभा के बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु करके बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया. इसके आलावा सर शोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी स्थित है.
दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहा जाता है वह शोभा सिंह की जमीन पर ही बना हुआ है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से भी जाना जाता था. वहीं खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का प्रयोग करके अपने पिता को एक देश भक्त और दूरद्रष्टा निर्माता साबित करने की काफी कोशिश भी करता रहा.